भजन संहिता 76

1. परमेश्वर यहूदा में जाना गया है, उसका नाम इस्राएल में महान हुआ है।
2. और उसका मण्डप शालेम में, और उसका धाम सिरयोन में है।
3. वहां उस ने चमचमाते तीरों को, और ढाल ओर तलवार को तोड़कर, निदान लड़ाई ही को तोड़ डाला है।।
4. हे परमेश्वर तू तो ज्योतिमय है; तू अहेर से भरे हुए पहाड़ों से अधिक उत्तम और महान है।
5. दृढ़ मनवाले लुट गए, और भरी नींद में पड़े हैं;
6. और शूरवीरों में से किसी का हाथ न चला। हे याकूब के परमेश्वर, तेरी घुड़की से, रथों समेत घोड़े भारी नींद में पड़े हैं।
7. केवल तू ही भययोग्य है; और जब तू क्रोध करने लगे, तब तेरे साम्हने कौन खड़ा रह सकेगा?
8. तू ने स्वर्ग से निर्णय सुनाया है; पृथ्वी उस समय सुनकर डर गई, और चुप रही,
9. जब परमेश्वर न्याय करने को, और पृथ्वी के सब नम्र लोगों का उद्धार करने को उठा।।
10. निश्चय मनुष्य की जलजलाहट तेरी स्तुति का कारण हो जाएगी, और जो जलजलाहट रह जाए, उसको तू रोकेगा।
11. अपने परमेश्वर यहोवा की मन्नत मानो, और पूरी भी करो; वह जो भय के योग्य है, उसके आस पास के सब उसके लिये भेंट ले आएं।
12. वह तो प्रधानों का अभिमान मिटा देगा; वह पृथ्वी के राजाओं को भययोग्य जान पड़ता है।।