भजन संहिता 130
1. हे यहोवा, मैं ने गहिरे स्थानों में से तुझ को पुकारा है!
2. हे प्रभु, मेरी सुन! तेरे कान मेरे गिड़गिड़ाने की ओर ध्यान से लगे रहें!
3. हे याह, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा?
4. परन्तु तू क्षमा करनेवाला है? जिस से तेरा भय माना जाए।
5. मैं यहोवा की बाट जोहता हूं, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूं, और मेरी आशा उसके वचन पर है;
6. पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, हां, पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, उस से भी अधिक मैं यहोवा को अपने प्राणों से चाहता हूं।।
7. इस्राएल यहोवा पर आशा लगाए रहे! क्योंकि यहोवा करूणा करनेवाला और पूरा छुटकारा देनेवाला है।
8. इस्राएल को उसके सारे अधर्म के कामों से वही छुटकारा देगा।।