यशायाह 50
1. तुम्हारी माता का त्यागपत्रा कहां है? जिसे मैं ने उसे त्यागते समय दिया था? या मैं ने किस व्योपारी के हाथ तुम्हें बेचा? यहोवा यों कहता है, सुनो, तुम अपने ही अधर्म के कामों के कारण बिक गए, और तुम्होर ही अपराधों के कारण तुम्हारी माता छोड़ दी गई।
2. इसका क्या कारण है कि जब मैं आया तब कोई न मिला? और जब मैं ने पुकारा, तब कोई न बोला? क्या मेरा हाथ ऐसा छोटा हो गया है कि छुड़ा नहीं सकता? क्या मुझ में उद्धार करने की शक्ति नहीं? देखो, मै एक धमकी से समुद्र को सुखा देता हूं, मैं महानदों को रेगिस्थान बना देता हूं, उनकी मछलियां जल बिना मर जाती और बसाती हैं।
3. मैं आकाश को मानो शोक का काला कपड़ा पहिनाता, और टाट को उनका ओढ़ना बना देता हूं।।
4. प्रभु यहोवा ने मुझे सीखनेवालों की जीभ दी है कि मैं थके हुए को अपने वचन के द्वारा संभालना जानूं। भोर को वह नित मुझे जगाता और मेरा कान खोलता है कि मैं शिष्य के समान सुनूं।
5. प्रभु यहोवा ने मेरा कान खोला है, और मैं ने विरोध न किया, न पीछे हटा।
6. मैं ने मारनेवालों को अपनी पीठ और गलमोछ नोचनेवालों की ओर अपने गाल किए; अपमानित होने और थूकने से मैं ने मुंह न छिपाया।।
7. क्योंकि प्रभु यहोवा मेरी सहायता करता है, इस कारण मैं ने संकोच नहीं किया; वरन अपना माथा चकमक की नाईं कड़ा किया क्योंकि मुझे निश्चय था कि मुझे लज्जित होना न पड़ेगा।
8. जो मुझे धर्मी ठहराता है वह मेरे निकट है। मेरे साथ कौन मुक मा करेगा? हम आमने- साम्हने खड़े हों। मेरा विरोधी कौन है? वह मेरे निकट आए।
9. सुनो, प्रभु यहोवा मेरी सहायता करता है; मुझे कौन दोषी ठहरा कसेगा? देखो, वे सब कपड़े के समान पुराने हो जाएंगे; उनको कीड़े खा जाएंगे।।
10. तुम में से कौन है जो यहोवा का भय मानता और उसके दास की बातें सुनता है, जो अन्धियारे में चलता हो और उसके पास ज्योति न हो? वह यहोवा के नाम का भरोसा रखे, और अपने परमेश्वर पर आशा लगाए रहे।
11. देखो, तुम सब जो आग जलाते और अग्निबाणों को कमर में बान्धते हो! तुम सब अपनी जलाई हुई आग में और अपने जलाए हुए अग्निबाणों के बीच आप ही चलो। तुम्हारी यह दशा मेरी ही ओर से होगी, तुम सन्ताप में पड़े रहोगे।।