यहेजकेल 37

1. यहोवा की शक्ति मुझ पर हुई, और वह मुझ में अपना आत्मा समवाकर बाहर ले गया और मुझे तराई के बीच खड़ा कर दिया; वह तराई हडि्डयों से भरी हुई थी।
2. तब उस ने मुझे उनके चारों ओर घुमाया, और तराई की तह पर बहुत ही हडि्डयों थीं; और वे बहुत सूखी थीं।
3. तब उस ने मुझ से पूछा, हे मनुष्य के सन्तान, क्या ये हडि्डयां जी सकती हैं? मैं ने कहा, हे परमेश्वर यहोवा, तू ही जानता है।
4. तब उस ने मुझ से कहा, इन हडि्डयों से भविष्यद्वाणी करके कह, हे सूखी हडि्डयो, यहोवा का वचन सुनो।
5. परमेश्वर यहोवा तुम हडि्डयों से यों कहता हे, देखो, मैं आप तुम में सांस समवाऊंगा, और तुम जी उठोगी।
6. और मैं तुम्हारी नसें उपजाकर मांस चढ़ाऊंगा, और तुम को चमड़े से ढांपूंगा; और तुम में सांस समवाऊंगा और तुम जी जाओगी; और तुम जान लोगी कि मैं यहोवा हूँ।
7. इस आज्ञा के अनुसार मैं भविष्यद्वाणी करने लगा; और मैं भविष्यद्वाणी कर ही रहा था, कि एक आहट आई, और भुईडोल हुआ, और वे हडि्डयां इकट्ठी होकर हड्डी से हड्डी जुड़ गई।
8. और मैं देखता रहा, कि उन में नसें उत्पन्न हुई और मांस चढ़ा, और वे ऊपर चमड़े से ढंप गई; परन्तु उन में सांस कुछ न थी।
9. तब उस ने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान सांस से भविष्यद्वाणी कर, और सांस से भविष्यद्वाणी करके कह, हे सांस, परमेश्वर यहोवा यों कहता है कि चारों दिशाओं से आकर इन घात किए हुओं में समा जा कि ये जी उठें।
10. उसकी इस आज्ञा के अनुसार मैं ने भविष्यद्वाणी की, तब सांस उन में आ गई, ओर वे जीकर अपने अपने पांवों के बल खड़े हो गए; और एक बहुत बड़ी सेना हो गई।
11. फिर उस ने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, ये हडि्डयां इस्राएल के सारे घराने की उपमा हैं। वे कहत हैं, हमारी हडि्डयां सूख गई, और हमारी आशा जाती रही; हम पूरी रीति से कट चूके हैं।
12. इस कारण भविष्यद्वाणी करके उन से कह, परमेश्वर यहोवा यों कहता है, हे मेरी प्रजा के लोगो, देखो, मैं तुमहारी कबरें खोलकर तुम को उन से निकालूंगा, और इस्राएल के देश में पहुंचा दूंगा।
13. सो जब मैं तुमहारी कबरें खोलूं, और तुम को उन से निकालूं, तब हे मेरी प्रजा के लोगो, तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।
14. और मैं तुम में अपना आत्मा समवाऊंगा, और तुम जीओगे, और तुम को तुम्हारे निज देश में बसाऊंगा; तब तुम जान लोगे कि मुझ यहोवा ही ने यह कहा, और किया भी है, यहोवा की यही वाणी है।
15. फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,
16. हे मनुष्य के सन्तान, एक लकड़ी लेकर उस पर लिख, यहूदा की और उसके संगी इस्राएलियों की; तब दूसरी लकड़ी लेकर उस पर लिख, यूसुफ की अर्थात् गप्रैम की, और उसके संगी इस्राएलियों की लकड़ी।
17. फिर उन लकड़ियों को एक दूसरी से जोड़कर एक ही कर ले कि वे तेरे हाथ में एक ही लकड़ी बन जाएं।
18. और जब तेरे लोग तुझ से पूछें, क्या तू हमें न बताएगा कि इन से तेरा क्या अभिप्राय है?
19. तब उन से कहना, परमेश्वर यहोवा यों कहता है, देखो, मैं यूसुफ की लकड़ी को जो एप्रैम के हाथ में है, और इस्राएल के जो गोत्रा उसके संगी हैं, उनको लेकर यहूदा की लकड़ी से जोड़कर उसके साथ एक ही लकड़ी कर दूंगा; और दोनों मेरे हाथ में एक ही लकड़ी बनेंगी।
20. और जिन लकड़ियों पर तू ऐसा लिखेगा, वे उनके साम्हने तेरे हाथ में रहें।
21. और तू उन लोगों से कह, परमेश्वर यहोवा यों कहता है, देखो, मैं इस्राएलियों को उन जातियों में से लेकर जिन में वे चले गए हैं, चारों ओर से इकट्ठा करूंगा; और उनके निज देश में पहुचाऊंगा।
22. और मैं उनको उस देश अर्थात् इस्राएल के पहाड़ों पर एक ही जाति कर दूंगा; और उन सभों का एक ही राजा होगा; और वे फिर दो न रहेंगे और न दो राज्यों में कभी बटेंगे।
23. वे फिर अपनी मूरतों, और घिनौने कामों वा अपने किसी प्रकार के पाप के द्वारा अपने को अशुद्ध न करेंगे; परन्तु मैं उनको उन सब बस्तियों से, जहां वे पाप करते थे, निकालकर शुद्ध रूिंगा, और वे मेरी प्रजा होंगे, और मैं उनका परमेश्वर हूंगा।
24. मेरा दास दाऊद उनका राजा होगा; सो उन सभों का एक ही चरवाहा होगा। वे मेरे नियमों पर चलेंगे और मेरी विधियों को मानकर उनके अनुसार चलेंगे।
25. वे उस देश में रहेंगे जिसे मैं ने अपने दास याकूब को दिया था; और जिस में तुम्हारे पुरखा रहते थे, उसी में वे और उनके बेटे- पोते सदा बसे रहेंगे; और मेरा दास दाऊद सदा उनका प्रधान रहेगा।
26. मैं उनके साथ शान्ति की वाचा बान्धूंगा; वह सदा की वाचा ठहरेगी; और मैं उन्हें स्थान देकर गिनती में बढ़ाऊंगा, और उनके बीच अपना पवित्रास्थान सदा बनाए रखूंगा।
27. मेरे निवास का तम्बू उनके ऊपर तना रहेगा; और मैं उनका परमेश्वर हूंगा, और वे मेरी प्रजा होंगे।
28. और जब मेरा पवित्रास्थान उनके बीच सदा के लिये रहेगा, तब सब जातियां जान लेंगी कि मैं यहोवा इस्राएल का पवित्रा करनेवाला हूँ।

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